अल्फाज़ो के उस आईने का क्या कसूर था जब उनकी तस्वीर को अपने हुस्न पर गुरूर था , अल्फाज़ो के उस आईने का क्या कसूर था जब उनकी तस्वीर को अपने हुस्न पर गुरूर था ,
क्यों,बहुत डरे-डरे से लग रहे हो?मैंने पूछ लिया।कहीं कुत्ता-उत्ता तो नहीं है ना?उसने मुझ क्यों,बहुत डरे-डरे से लग रहे हो?मैंने पूछ लिया।कहीं कुत्ता-उत्ता तो नहीं है ना?उ...
जब जज़्बात सच्चे हो तो वक़्त फासले मिटा देता है वरना हर लम्हा जब लगती है कमी उसकी खलती है फिर दूरियां।... जब जज़्बात सच्चे हो तो वक़्त फासले मिटा देता है वरना हर लम्हा जब लगती है कमी उसकी ...
शायद परमात्मा की मर्जी नहीं थी ऐसी। तभी तो करगिल से उनकी वापिसी तिरंगे में लिपटकर हुई! शायद परमात्मा की मर्जी नहीं थी ऐसी। तभी तो करगिल से उनकी वापिसी तिरंगे में लिपटक...
माँ अपने दोनों भाइयों की भी बहुत दुलारी थीं। माँ अपने दोनों भाइयों की भी बहुत दुलारी थीं।
अमीना, इसकी जिक्र किसी से न करना ना ही कभी यह भूल दोहराना। वादा करो" अब्बू ने मुझसे कहा, आँखों में ... अमीना, इसकी जिक्र किसी से न करना ना ही कभी यह भूल दोहराना। वादा करो" अब्बू ने म...